HOER Rules - रेल सेवक (कार्य के घंटे एवं विश्राम की अवधि) नियम 2005

Railway Servent (Hours of Work andPeriod of Rest) Rules 2005

HOER का मुख्य उद्देश्य रेल कर्मचारियों के काम के घंटों को निर्धारित कर उन्हें लागू करना, काम के बीच जरुरी विश्राम, साप्ताहिक विश्राम, ओवरटाईम का नियमन आदि करना है।

HOER के नियम वर्कशॉप, माइंस तथा शिपिंग कानून के अधीन कार्यरत एवं HOER में वर्णित अपवर्जित श्रेणी (excluded) के रेल कर्मचारियों को छोड़कर अन्य सभी पर लागू होते है जो नॉन-गजेटेड ग्रुप ‘C’ या D’ में आते हैं।

क्र.सं.

वर्गीकरण

विवरण

उदाहरण

शिफ्ट के घंटे (hours in a shift)

रोस्टरघंटे (Roster hours)

क़ानूनी घंटे (Statutory Limit of Hours)

साप्ताहिक विश्राम (weekly rest)

1

गहन (Intensive)

लगातार एकाग्रताया

कठिन शारीरिक श्रमकाकार्य,

कार्य

के

दौरान

विश्राम

नहीं

या बहुत कम विश्राम

सेक्शन


कंट्रोलर,


टेलीफोन ऑपरेटर

(6½ घंटे प्रति

दिन)

42

घंटे

प्रति

सप्ताह

45 घंटे प्रति सप्ताह से अधिक नहीं (एक माह में औसत)

30 घंटे से कम नहीं एक फुलनाइट के साथ

2

आवश्यक रूपसे विरामी कर्मचारी (Essentially Intermittent):

कर्मचारी 12 घंटे की शिफ्ट में रहने पर भी 6 घंटे या अधिक खाली रहते हैं।।

वेटिंग रूम बेयरर

(waiting room bearer),

स्वीपर,

बंगलाप्यून,

C-क्लास गेट का गेटमैन

(12½ घंटे प्रति

दिन)

48 घंटे

प्रति सप्ताह + 12

Hrs or 24 Hrs (60 घंटे या 72 घंटे)

75 घंटे प्रति सप्ताह

लगातार 24 घंटे से कम नहीं एक फुलनाइट के साथ

3

अपवर्जित कर्मचारी (Excluded)

उनको HOER के नियमोसे अलग रखा गया है।इसका आधार इन के कार्य कास्व भाव है।

सुपरवाइजर,

Armed guard/

Armedpolice force,

टेक्निकल ट्रेनिंग

स्कूल

के

कर्मचारी,

गोपनीय

कार्य

में

लगे

कर्मचारी,

हेल्थ व

मेडिकल

विभाग

केकर्मचारी

-

-

-

अपवर्जित कर्मचारियों के लिए कोई रोस्टर घंटा,क़ानूनी सीमाव साप्ताहिक विश्राम का प्रावधान नहीं है।

4

अविराम (Continous)

वे कर्मचारी जो उपरोक्त किसी भी वर्ग में नहीं आते है वे अविराम कर्मचारी माने जायेंगे।

क्लर्क,

टाआपिस्ट,

सभीरनिंगस्टाफ

(TTE,गाडम,लोकोपायलेट,शंटर)

ESM,

TCM

इत्यादि

घंटा प्रतिदिन

48 घंटे प्रति सप्ताह

54 घंटा प्रति सप्ताह (1 माह का औसत)

प्रति सप्ताह लगातार 30 घंटे से कम नहीं एक फुलनाइट के साथ

समयोपरि भत्ता (Overtie allowance):



रोस्टर के  घंटो से अधिक काम करने पर ओवरटाईम अलाउंस सामान्य वेतन के  गुने की दर से और क़ानूनी सीमासे अधिककाम करने पर सामान्य वेतन की दूगुनी दर से मिलता है।

स्प्लिट शिफ्ट (split shift):

काम के  दौरान जब बीच में विराम हो तो इसे स्प्लिट शिफ्ट कहते है। इस विराम में कर्मचारी काम का स्थान छोड़कर जासकता है। पूरी शिफ्ट को दो या अधिकतम तीन भागों में बांटा जा सकता है अर्थात एक या दो इंटरवल बीच में हो सकते है।




रात्री डयूटी (Night Duty):

10 बजे रात्री से प्रातः 6 बजे के बीच किसी भी समय यदि डयूटी पड़े तो इसे नाइट डयूटी माना जाता है।

10:00 pm से 6:00 am के बीच की अवधि को फुल नाइट कहा जाता है।लगातार नाइट डयूटी देने से बचना चाहिए।

लघु विराम (Short off):

एक रोस्टर डयूटी के अंत में तथा दसरी रोस्टर डयूटी केआरम्भ में यदि विराम कम हो तो इसे ‘शोर्ट ऑफ’ कहा जाता है।(गहनमें 12 घंटे से, अविराम में 10 घंटे से तथा EIमें 8 घंटे से कम विराम शोर्ट ऑफ कहा जायेगा)

लम्बा कार्य समय (Long On):

यह काम की लम्बी अवधि है जो गहन के  लिए 8 घंटे, अविराम (Continuos) के  लिए 10 घंटे और आवश्यक रूप से विरामी के  लिए 12 घंटे है।



7: WC Act - श्रमिकों के क्षतिपुर्तिका कानून (Work men’s Compensation Act)

उद्देश्य- इस कानून का उद्देश्य कुछश्रेणियों में मालिकों द्वारा अपने श्रमिकों की दुर्घटना में चोट के  परिणामस्वरूप श्रमिक की मृत्यु, स्थायी, अस्थायी, पूरी अथवा आंशिक अपंगता के  लिए श्रमिक या इसके  अश्रितों  कोक्षतिपुर्ति(compensation या हर्जाना) के भुगतान की व्यवस्था करना है।

लागू होने की सीमा:


रेलवे के  परिप्रेक्ष्य में निम्नलिखित पर यह कानून लागु होता है-


प्रशासनिक कार्यालयों तथा मंडल में काम करने वाले रेल कर्मचारियों को छोड़कर अन्य सभी रेल कर्मचारियों पर

रेलवे के कार्य हेतु ठेकेदारद्वारा नियुक्त मजदरों पर

नियमित नियुक्ति (Regular Appointee)के लिए RRBसे नियुक्त प्रिवकिंग पोस्ट ट्रेनी (Pre-Working Post Trainee)पर

नियमित पद (Regular Post) पर कंपनसेशन के आधार पर नियुक्त प्रिवकिंग पोस्ट ट्रेनी (Pre-Working Post Trainee) पर

अप्रेंटिस एक्ट 1961के  अंतर्गत रेलों में (जहाँ नियमित आधार पर नियुक्तिकी शर्त नहीं है)प्रशिक्षणदिए जा रहे अप्रेंटिस पर

क्षतीपुर्ति की जिम्मेदारी (Liability of Compensation):

इस कानून के तहतक्षतिपुर्तिकी जिम्मेदारी तब बनती है जब किसी श्रमिक को दुर्घटना से  व्यक्तिगत चोट लगे और वह दुर्घटना इसके रोजगार के  सिलसिले में तथा रोजगार के दौरान हुई हो।


वे परिस्थितीयां जिनमें प्रशासन को क्षतीपुर्ती की जिम्मेदारी नहीं होगी-


1.चोट (Injury)के परिणामस्वरूप जो अशक्तता (Disablement)हुई है वह आंशिक है तथा तीन दिन से कम की है।

2. चोट के परिणामस्वरूप कर्मचारी की मृत्यु नहीं हुइ है तथा इस दुर्घटना का सीधा कारण- a) कर्मचारी के शराब या नशाखोरी के प्रभाव में होना हो

b)कर्मचारी द्वारा सुरक्षा निर्देशों अथवा नियमो की जान बुझकर अनदेखी की गई हो

c)सुरक्षा साधनों का उपयोग न किया हो


नोट: i)दुर्घटना के  परिणामस्वरूप कर्मचारी की मृत्यु होने पर क्षतीपुर्ती देय होगी। भले ही नियमों का पालन हुआ हो अथवा नहीं। ii)ठेकेदारके  श्रमिकों कोक्षतिपुर्तिका भुगतान किया जाता है तो इसकी कटौती ठेकेदारसे की जाएगी।

iii)क्षतिपुर्तिराशि (Compensation Amount)का निर्धारण शरीर को हुए नुकसान के आधार पर एक फार्मूला के तहत किया जाता है, परन्तु इसकी अधिकतम सीमा- रु.20लाख है।



8: P.W.एक्ट - मजदरी भुगतान कानून (Payment of Wages Act-1936)


उद्देश्य: कर्मचारियों की मजदूरी का भुगतान नियंत्रित करने के  लिए यह कानून बनाया गया है ताकि मजदूरी भुगतान के मामले मेंकर्मचारियों की शोषण से रक्षा किया जा सके । 

यह कानून सुनिश्चितकरता है कि-


  1. किस समय तक मजदरी का भुगतान कर दिया जाय

  2. सही मजदूरी का भुगतान किया जाय  

  3. मजदूरी से कौन- कौन सी कटौतीयां की जा सकती है 

  4. मजदूरी  भुगतान का तरीका क्या हो


इस कानून के  लागू होने की सीमा:


ऐसे सभी प्रतिष्ठान जिसमें 20या अधिक कर्मचारी काम करते हो। 

रेलों के  सभी प्रतिष्ठानों और कारखानों पर ।

इन रेलवे ठेकेदारों पर जो पिछले 12महीनों में किसी भी दिन 20या इससे अधिक  व्यक्तियों को रोजगार देते है।


मजदूरी (Wages):

मजदूरी(Wages)में मूल मजदूरी तथा सभी भत्ते शामिल है जिन्हें धन के अकड़ों में व्यक्त किया जा सकता है तथा जिसे रोजगार के  विषय में नियुक्त एक  व्यक्ति या इस रोज़गार में किये गए कार्य के  बदले में इस  व्यक्ति को दीजाती है।


P.W. Act की मुख्य व्यस्थाएँ (Payment and Wages Act. main Provisions):


1.मजदूरी भुगतान की जिम्मेदारी –


प्रत्येक नियोक्ता की यह जिम्मेदारी होगीकि वह अपने द्वारा नियुक्त कर्मचारियों को इस कानून के अंतर्गत सम्पूर्ण मजदूरी का

भुगतान सुनिश्चितकरे। फैक्ट्रियों में फैक्ट्री का मैनेजर मजदूरी भुगतान के लिए जिम्मेदार होगा


2. मजदूरी की अवधि का निर्धारण (Fixation of Wage Periods) –


प्रत्येकनियोक्ता की यह जिम्मेदारी होगीकि वह अपने द्वारा नियुक्त कर्मचारियों के मजदूरी के भुगतान की अवधि का निर्धारण करेतथा यह अवधि एक मास से अधिक नहीं होगी। (मजदूरी की अवधि दैनिक,साप्ताहिक,पाक्षिक या मासिक हो सकती है। )


  1. मजदूरी भुगतान का समय (Time of  Payment of  Wages): भुगतान की समय सीमाइस प्रकार है-

  1. 1000व्यक्ति तक काम करते हो तो 7 दिन के भीतर

  2. b) 1000 व्यक्ति से अधिक हों तो 10 दिन के भीतर


4.मजदूरी से कटौतीयां (Deduction which may be made from wages) –


इस कानून के द्वारा प्राधिक्तकिये गये कटौतीयों को छोड़कर किसी अन्य प्रकार की कटौती के  बिना, कर्मचारी को मजदूरी 

भुगतान करना चाहिए।

  1. काम से अनुपस्थित रहने पर कटौती (Deduction for absence from duty)- 

कर्मचारी की जहाँ कार्य करने की आवश्यकता हो उस स्थान या उन स्थानों से उसकी अनुपस्थिती के  कारण कटौती की जा सकती है, यह कटौती इसके काम करने की आवश्यकता की अवधि का पूरा हिस्सा या कोई एक भाग हो सकता है।



  1. नुकसान या क्षति के लिए कटौती (Deduction for damage or loss)-

कर्मचारी की लापरवाही या उपेक्षा के कारण नियोक्ता को हुए नुकसान या हानि की मात्रा से अधिक कटौती नहीं की जा

सकती। यह कटौती तब तक नहीं की जा सकती जब तक यह प्रमाणित न हो जाये की –

  1. नुकसान हुआ सामान या धन, कर्मचारी को स्पष्ट रूप से सौंपा गया था तथा इसकी अभिरक्षा में था।

  2. यह नुकसान या हानि सीधा-सीधा उसकी लापरवाही या उपेक्षा के कारण हुआ है।



  1. नोटिस लगाना (Display of notices)

इस कानून के मुख्य नियम अंग्रेजी, हिंदीव स्थानीय भाषा में नोटिस बोर्ड पर लगाना चाहिए।

मजदरी का भुगतान किस अवधि के  लिए और किस तारीख को किया जाता है यह भी नोटिस बोर्ड पर पेंट करके लगाना चाहिए।




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